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  1. 27 4 2017

    वैज्ञानिक और औद्योगिक विकास के उद्दंड परिणामों से अपने को सुरक्षित रख कर हम उनका उपयोग अपनी रीती से किस प्रकार करें इस बारे में दो बातों का हमें बराबर ध्यान रखना है पहली बात तो यह है कि हर प्रकार की प्रकृति जन्य और मानव कृत्य विपदाओं के पन्ने पर भी हम लोगों की सृजनात्मक शक्ति कम नहीं हुई हमारे देश में साम्राज्य बने और मीठे विभिन्न संप्रदाय संप्रदाय का उत्थान पतन हुआ हम विदेशियों के अक्रांत और पददलित हुए हम पर प्रकृति विमान लोगों ने अनेक बार मुसीबतों के पहाड़ा दिए पर फिर भी हम लोग बने रहें हमारी संस्कृति बनी रहे और हमारा जीवन वह सृजनात्मक शक्ति बनी रहे |

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  2. 27 4 2017

    भारतीय कवियों को प्रकृति की सुंदर गोद में क्रिया क्रीडा करने का सौभाग्य प्राप्त है वह हरे हरे उपवनों तथा सुंदर जलाशयों के तटों पर विचरण करते तथा प्रकृति के नाना मनोहारी रूपों से परिचित होते हैं यही कारण है कि भारतीय कवि प्रकृति के संश्लिष्ट तथा सजीव चित्र जितने मार्मिकता उत्तमता तथा अधिकता से अंकित करते हैं तथा उपमा उत्प्रेक्षा के लिए जैसे सुंदर वस्तुओं का उपयोग करते हैं वैसा रूखे-सूखे देश के निवासी कवि नहीं कर सकते यह भारत की ही विशेषता है कि यहां के कवियों को प्रकृति वर्णन तथा तत संभव सुंदर है ज्ञान उच्च कोटि का होता है

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  3. 27 4 2017

    चीनी फिलॉसफर ने 4 वर्ष की निरंतर साधना के बाद अविष्कार किया की डेमोक्रेट हंसना और मुस्कुराना जानता है पर डिक्टेटर हंसने की बात सोचते भी नहीं उनको आप जहां भी देखें और जब भी देखें उनकी भ कुटिया तनी हुई है मुट्ठियां बंधी हुई हैं ललाट कुंचित है अगर ओष्ठ दातों के उपांत लेखों के समांतर जमा हुआ है मानो यह सभी दुनिया को भस्म कर देना चाहते हैं अगर इन शक्तिशाली हो डिक्टेटर में हंसने का थोड़ा सा भी मादा होता तो दुनिया आज कुछ और ही होती

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  4. 27 4 2017

    साहित्य कला, नृत्य, गीत, आमोद-प्रमोद अनेक रूपों में राष्ट्रीय जन अपने अपने मानसिक भावों को प्रकट करते हैं आत्मा का जो विश्वव्यापी आनंद भाव है यह इन विविध रूपों में साकार होता है यद्यपि बाह्य रूप की दृष्टि से संस्कृति के यह बाहरी लक्षण अनेक दिखाई पड़ते हैं किंतु आंतरिक आनंद की दृष्टि से उनमें एकसूत्रता है जो व्यक्ति सदृश्य है वह प्रत्येक संस्कृति के आनंद पक्षकार पक्ष को स्वीकार करता है और उससे उससे आनंदित होता है इस प्रकार की उधार भावना ही जीवन जनों से बने हुए राष्ट्र के लिए स्वास्थ्य पर है

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  5. 18 8 2015

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    अदालत ने फैसले में कहा कि मामले की तफ्तीश करने वाली एजेंसी ने जैसा कहा है वह साफ तौर पर उसका अति तकनीकी वाला मत है कि उस वक्त युवती की उम्र 18 साल से महज कुछ माह ही कम थी।  कोर्ट ने कहा कि सारवान न्याय देने के लिए कोर्ट अपनी शक्तियों की किसी सीमा में नहीं बंध सकता और मामले के हालात में अगर नाइंसाफी होने जा रही हो तो इसको महज देखते रहने वाला बना नहीं रह सकता। कोर्ट ने कहा-चूंकि युवती ने अभियोजन केस का समर्थन नहीं किया है, ऐसे में मामले के ‘ट्रायल’(विचारण) की कार्रवाई का कोई नतीजा नहीं निकलेगा।  अदालत ने कहा कि मामले के तथ्यों व हालात के मद्देनजर मामले में शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही (एफआईआर वगैरह) अदालती व कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर शुरू की गईं। जो कानून में स्वीकार्य नहीं है। ऐसा अभियोजन याचियों को अपने मन (विवेक) से शादी करने केसंवैधानिक हक में बाधक होगा खासतौर पर जहां ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि यह शादी शून्य है। तकनीकी की बेदी पर न्याय की बलि नहीं चढ़ाई जा सकती अदालत ने कहा कि युवती मां बनने वाली है और उसे 31 हफ्ते का गर्भ है।  उसने अपने बयान में खुद के अपहरण,जोर दबाव या लालच बगैरह की बात भी नहीं कही है। बल्कि उसने युवक के साथ बतौर पति-पत्नी रहने की बात कही है। ऐसे में अदालत का मत है कि तकनीकियों की वेदी पर सारवान (सब्सटेंशियल)न्याय की बलि नहीं चढ़ाई जा सकती।  ऐसे में यह भी नहीं कहा जा सकता कि युवक ने बहला-फुसलाकर युवती को भगा ले जाने के आरोपों वाला अपराध किया है,लिहाजा यह याचिका मंजूर किए जाने पर इंसाफ की मंशा पूरी होगी। अदालत ने इस टिप्पणी केसाथ याचिका मंजूर कर ली और मामले में दर्ज कराई गई एफआईआर समेत इससे संबंधित पूरी आपराधिक कार्यवाही रदद् कर दी।

    Paragraph Source: http://lucknow.amarujala.com/feature/city-news-lkw/parents-cant-case-on-daughter-s-love-marriage-hindi-news/page-2/

     

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